15 August पर भाषण

15 August पर भाषण

आदरणीय I.T.I COLLEGE MADHEPURA के प्रधानाचार्य, शिक्षक एवं अभिभावक गण साथ ही साथ मेरे प्यारे भाई एवं बहनों आप सभी को प्यार भरा नमस्कार।

हमारे देश को आजादी के 75 वर्ष पूरे होने की खुशी में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश की जनता से आजादी के अमृत महोत्सव मनाने के लिए आवाहन किया गया।

आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 अगस्त के दिन ही हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था, आजादी के 75 वर्ष पूरा हो जाने की खुशी में भारत मां के आंचल में बैठे जनता मेरे एक विशेष प्रकार की खुशी देखने को मिल रहा है।

“आजादी का अमृत महोत्सव के साथ सथ 15 अगस्त को भी हम सभी को मिलकर मनाना है, जन जन की भागीदारी से भारत को आत्मनिर्भर बनाना है”

आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभई पटेल, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुष अपनी अहम भूमिका निभाते हुए देश की जनता को आजादी के आंदोलन के लिए प्रेरित किया और इस आंदोलन में ना जाने कितने माताओं के लाल शहीद हो गए, कितने माताओं के मांग के सिंदूर उजर गए।

आजादी के संघर्ष कि कठिन राह में इन महापुरुषों ने कई बार जेल की यात्रा भी की और अंग्रेज सरकार के अत्याचारों को भी सहा महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा के मार्ग पर पूरे देश की जनता को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया तो वही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने सबसे कम अपने देश के खातिर फांसी के फंदे पर हंसते हंसते झूलते रहे और शहीद हो गए।

दो लाइन मैं कहना चाहूंगा-

ज़िक्र अगर हीरो का होगा……2

तो नाम हिंदुस्तान के वीरों का होगा।

ऊंची शांति रंगों की संघर्षों में भी लहराया भूलो मत उन्हें जिन्होंने देश के खातिर लहू बहाया।

जब 15 अगस्त 1947 को भारत मां को गुलामी से आजादी मिली तो हमारे देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा लाल किले पर झंडा फहराते हुए 15 अगस्त को के रूप में मनाने का निश्चय किया गया था ताकि हम लोग उन महापुरुष के त्याग, बलिदान और संघर्ष को ना भूल पाए साथ साथ तमाम वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जो इस देश के प्रति मर मिटे हैं और मिटते हैं।

नमन है उन वीरों को, नमन है उन वीरों को जिन्होंने इस देश को बचाया है गुलामी की मजबूत बेड़ियों को अपने बलिदान के रक्त से पिघलाया है और भारत मां को आजाद कराया है।

बस इसी के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।

जय हिंद!

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